हिन्दू विक्रमी सम्वत के आषाढ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी कहा जाता है। शास्त्रों में इस एकादशी व्रत के विधान, नियम-संयम और फल बताए गए हैं।
- आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी यानि योगिनी एकादशी के व्रत नियम पालन दशमी तिथि की रात्रि से ही शुरु कर देने चाहिए। इस व्रत का पालन करने वाले व्रती को दशमी के दिन से ही तन, मन से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और स्त्री प्रसंग से दूर रहना चाहिए।
- एकादशी के दिन यथा संभव उपवास करें। उपवास में अन्न नहीं खाया जाता यानि बिना भोजन किए इस व्रत को किया जाता है। संभव न हो तो एक भुक्त या नक्त व्रत रखें। यानि एक समय रात्रि में भोजन करें।
- एकादशी को जुआ खेलना, सोना, पान खाना, दातून करना, परनिन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, संभोग, क्रोध तथा झूठ बोलना इन ग्यारह बातों का त्याग करें।