इस एकादशी को भगवान नारायण की पूजा-आराधना की जाती है। पुराणों के अनुसार आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी योगिनी है। श्री नारायण भगवान विष्णु का ही नाम है। इस दिन व्रती रहकर भगवान नारायण की मूर्ति को स्नान कराके भोग लगाते हुए पुष्प, धूप, दीप से आरती उतारनी चाहिए। अन्य एकादशियों के समान ही भगवान विष्णु अथवा उनके लक्ष्मी नारायण रूप की पूजा-आराधना और दान आदि की क्रियाएँ करें। गरीब ब्राह्मणों को दान देना परम श्रेयस्कर है। इस एकादशी का व्रत करने से संपूर्ण पाप नष्ट हो जाते हैं और पीपल वृक्ष के काटने जैसे पाप तक से मुक्ति मिल जाती है। किसी के दिए हुए शाप का निवारण हो जाता है। इस व्रत को करने से व्रती इस लोक में सुख भोगकर अंत में मोक्ष प्राप्त कर स्वर्गलोक की प्राप्ति करता है। यह एकादशी देह की समस्त आधि-व्याधियों को नष्ट कर सुदंर रूप,गुण और यश देने वाली है।