वामन द्वादशी के दिन भगवान विष्णु जी के वामन स्वरूप की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है।
वामन द्वादशी पूजन मंत्र :
देवेश्वराय देवश्य, देव संभूति कारिणे।
प्रभावे सर्व देवानां वामनाय नमो नमः।।
वामन द्वादशी अर्ध्य मंत्र :
नमस्ते पदमनाभाय नमस्ते जलः शायिने तुभ्यमर्च्य प्रयच्छामि वाल यामन अप्रिणे।।
नमः शांग धनुर्याण पाठ्ये वामनाय च। यज्ञभुव फलदा त्रेच वामनाय नमो नमः।।
वामन द्वादशी व्रत विधि :
वामन द्वादशी का व्रत करने वाले व्रती को चाहिए कि द्वादशी को दोपहर के समय स्वर्ण या यज्ञोपवीत से वामन भगवान की प्रतिमा बनाकर स्थापित करें। स्वर्ण पात्र अथवा मिट्टी के पात्र में षोडशोपचारपूर्वक पूजन करें तथा वामन भगवान की कथा सुनें, अर्ध्य दान करें, फल, फूल चढ़ावे तथा उपवास करें।
तदुपरांत मिट्टी के पात्र में दही, चावल एवं शक्कर रखकर ब्राह्मण को माला, गउमुखी, कमण्डल, लाठी, आसन, गीता, फल, छाता, खडाऊ तथा दक्षिणा देकर सम्मान सहित विदा करे। इस दिन फलाहार लें तथा अगले दिन त्रयोदशी को व्रत पारण करें। शास्त्रों के अनुसार वामन द्वादशी तिथि को विधि-विधान पूर्वक व्रत करने से सुख, आनंद, मनोवांछित फल तथा स्वर्ग की प्राप्ति होती है।