भगवान विष्णु ने बामन के रूप में हिंदी विक्रमी सम्वत के भाद्र पद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन अवतार लिया था।
इसी दिन यह व्रत किया जाता है। राजा बलि और वामन की पौराणिक गाथा ही व्रत का आधार है। इस दिन शालीग्राम की पूजा होती है। स्नान करते हुए नदी में बावन बार डुबकी लगाई जाती है तथा बावन वस्तुओं का दान किया जाता है। पंडित ‘बामन अवतार’ की कथा सुनाते हैं।