पापांकुशा एकादशी के दिन मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिये श्री विष्णु भगवान कि पूजा की जाती है। इस एकादशी के पूजने से व्यक्ति को स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है। जो मनुष्य कठिन तपस्याओं के द्वारा फल प्राप्त करते है। वह फल एक एकादशी के दिन क्षीर -सागर में शेषनाग पर शयन करने वाले श्री विष्णु को नमस्कार कर देने से ही मिल जाते है जिसके बाद मनुष्य को यमलोक के दु:ख नहीं भोगने पडते है।
पापाकुंशा एकादशी के फलों के विषय में कहा गया है, कि हजार अश्वमेघ और सौ सूर्ययज्ञ करने के फल, इस एकादशी के फल के सोलहवें, हिस्से के बराबर भी नहीं होता है। अर्थात इस एकादशी व्रत के समान अन्य कोई व्रत नहीं है, पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को स्वस्थ शरीर और सुन्दर जीवन साथी की भी प्राप्ति होती है।
इसके अतिरिक्त जो व्यक्ति इस एकादशी की रात्रि में जागरण करता है, उन्हें, बिना किसी रोक के स्वर्ग मिलता है। यह एकाद्शी उपवासक के मातृपक्ष के दस और पितृपक्ष के दस पितरों को विष्णु लोक लेकर जाती है। इस एकादशी के दिन भूमि, गौ, अन्न, जल, वस्त्र और छत्र आदि का दान करता है, उन्हें यमराज के दर्शन नहीं मिलते है। इसके अलावा जो व्यक्ति तालाब, बगीचा, धर्मशाला, प्याऊ, अन्न क्षेत्र आदि बनवाते है, उन्हें पुन्य फलों की प्राप्ति होती है। धार्मिक कार्य करने वाले को सभी सुख मिलते है।