Mangalvar Vrat

 

मंगलवार का उपवास सप्ताह के द्वितीय दिवस मंगलवार को रखा जाता है। 

मंगलवार व्रत विधि :

     - मंगलवार के व्रत में गेहूँ और गुड़ का ही भोजन करना चाहिये।
     - दिन में एक ही बार भोजन करें।
     - पूजा में लाल पुष्प चढ़ायें और खुद भी लाल रंग के वस्त्र ही धारण करें।

मंगलवार के दिन में व्रत खोलने से पूर्व हनुमान जी की पूजा करें।

मंगलवार व्रत कथा :

मंगलवार व्रत कथा के अनुसार, एक बार ऋषि नगर में केशवदत्त नामक ब्राह्मण अपनी पत्नी अंजलि के साथ रहता था। केशव दत्त के घर में धन-सम्पत्ति की कोई कमी नहीं थी। नगर में सभी केशवदत्त का सम्मान करते थे, लेकिन केशवदत्त सन्तान नहीं होने से बहुत चिन्तित रहता था। उसकी पत्नी अंजलि भी सन्तान की चिन्ता में बहुत कमजोर हो गई थी। 

दोनों पति-पत्नी प्रति मंगलवार को मंदिर में जाकर हनुमान जी की पूजा किया करते थे। मंगलवार का विधिवत व्रत करते हुए उन्हें कई वर्ष बीत गए थे। ब्राह्मण बहुत निराश हो गया था, लेकिन उसने व्रत करना नहीं छोड़ा था। कुछ दिनों के बाद केशवदत्त हनुमान जी की पूजा करने के लिए जंगल में चला गया। उसकी पत्नी अंजलि घर में रहकर मंगलवार का व्रत करने लगी। दोनों पति-पत्नी पुत्र-प्राप्ति के लिए मंगलवार का विधिवत व्रत काफी समय से कर रहे थे। 

कुछ दिनों बाद अंजलि ने अगले मंगलवार का व्रत किया, लेकिन किसी कारणवश उस दिन अंजलि हनुमान जी का भोग नहीं लगा सकी। हनुमान जी को भोग लगाए बिना वह स्वयं भी भोजन कैसे करती? सो उस दिन अंजलि सूर्य छिप जाने पर भूखी ही सो गई। अगले मंगलवार तक हनुमान जी को भोग लगाए बिना उसने भोजन नहीं करने का प्रण कर लिया। छ: दिन तक अंजलि भूखी-प्यासी रही। सातवें दिन मंगलवार को अंजलि ने हनुमान जी की पूजा की, लेकिन तभी भूख-प्यास के कारण अंजलि बेहोश हो गई। 

तब हनुमान जी ने उसे स्वप्न में दर्शन देते हुए कहा, उठो पुत्री! मैं तुम्हारे पूजा-पाठ से बहुत प्रसन्न हूँ। तुम्हें सुंदर व सुयोग्य पुत्र होने का आशीर्वाद देता हूँ। इतना कहकर हनुमान जी अंतर्धान हो गए जिसके बाद अंजलि की बेहोशी दूर हुई। उसने जल्दी से उठ कर हनुमान जी को भोग लगाया और स्वयं भी भोजन किया। 

हनुमान जी की अनुकंपा से नौ महीने के पश्चात अंजलि ने एक सुंदर शिशु को जन्म दिया। मंगलवार को जन्म लेने के कारण उस बच्चे का नाम मंगल प्रसाद रखा गया। कुछ दिनों बाद अंजलि का पति केशवदत्त भी घर को लौट आया। उसने आंगन में खेलते मंगल को देखा तो अंजलि से पूछा, यह  सुंदर बच्चा किसका है? अंजलि ने खुश होते हुए हनुमान जी के दर्शन देने और पुत्र प्राप्त होने का वरदान देने की सारी कथा सुना दी। लेकिन केशव दत्त को उसकी बातों पर विश्वास नहीं हुआ। 

उसके मन में पता नहीं कैसे यह कलुषित विचार आ गया कि अंजलि ने उसके साथ विश्वासघात किया है। अपने पापों को छिपाने के लिए अंजलि झूठ बोल रही है। केशवदत्त ने उस बच्चे को मार डालने का संकल्प किया। एक दिन घर से बाहर कुछ दूरी पर बने हुए कुंए पर केशवदत्त स्नान के लिए गया। मंगल भी उसके पीछे-पीछे कुंए पर पहुंच गया। केशवदत्त ने स्नान के बाद मंगल को उठाकर उस कुंए में डाल दिया और चुपचाप घर लौट आया। 

अंजलि ने उस के साथ मंगल को नहीं देखा तो उससे पूछा,  मैंने मंगल को आपके पीछे जाते देखा था। वह आपके साथ लौटकर क्यों नहीं आया? केशवदत्त ने कहा, मंगल तो मेरे पास कुंए पर पहुंचा ही नहीं, वह कहीं खेलने लग गया होगा।  अभी केशवदत्त ने यह कहा ही था कि तभी मंगल दौड़ता हुआ घर लौट आया। केशवदत्त मंगल को देखकर बुरी तरह हैरान हो उठा। 

उसी रात हनुमान जी ने केशवदत्त को स्वप्न में दर्शन देते हुए कहा, तुम दोनों के मंगलवार के व्रत करने से प्रसन्न होकर, पुत्र-जन्म का वर दिया था। फिर तुम अपनी पत्नी को कुलटा क्यों समझते हो? यह कहकर हनुमान जी अंतर्धान हो गए। तभी बिस्तर से उठकर केशवदत्त ने दीपक जलाकर रोशनी की और अंजलि को जगाकर उससे क्षमा मांगते हुए स्वप्न में हनुमान जी के दर्शन देने की सारी कहानी सुनाई। केशवदत्त ने अपने बेटे को हृदय से लगाकर प्यार किया। 

उस दिन के बाद सभी आनंदपूर्वक रहने लगे। मंगलवार का विधिवत व्रत करने से उनके घर के सभी कष्ट दूर हो गए। इस तरह जो स्त्री-पुरुष विधिवत मंगल वार का व्रत करके, व्रत कथा सुनते हैं, हनुमानजी उनके सभी कष्ट दूर करके घर में धन-सम्पत्ति का भण्डार भर देते हैं। शरीर के सभी रक्त विकार के रोग भी नष्ट हो जाते हैं।

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It is a popular fast, and is dedicated Mahavir Hanuman, who rendered great service to Lord Rama. On this day strict fast is observed, and Hanuman Ji is worshipped with sweets and fruits. The story of Mangalvar should be heard or read and Hanuman Chalisa is read and recited. From Mangalvar vrat, flows success, happiness, strength, both physical and moral, and quick recovery from illness. It also helps in overcoming the enemies.

Mangalvaar Vrat Katha :

Once there lived a Brahman couple. They were living a problemfree life. So their life was very unhappy. The Brahman went to the jungles to appease Lord Hanuman. He would pray for a child in his prayers. His wife used to observe fasts on Tuesdays to placate the Lord. She used to take her food on Mondays only after offering Prasad to Lord Hanuman.

Once she observed some special fast for the whole day. So she could not offer Prasad to Hanuman. She was very sorry for it and felt guilty. She decided to observe a fast till the coming Tuesday. She said to herself that she would take her meals only after offering Prasad to Hanuman Ji. She became weak and fragile and even fainted due to the long fast. 

Hanuman Ji took pity on her and appeared before her in the guise of a child. Hanuman Ji said, I bless you with a beautiful son. He will always serve you, day and night. He then disappeared after blessing the lady. Fortunately, the lady got a beautiful son. She named him Mangal.

The Brahman returned home after some months. He saw a handsome child playing in his  courtyard. He became suspicious and said to his wife, Whose child Is this? Have you indulged in adultery? The woman said politely, My dear husband, I am a chaste lady. I used to observe Tuesday fast in your absence to please Lord Hanuman. He has blessed me with this child. Please believe me.  

The Brahman kept mum but deep in his heart, doubts began to curl up every moment. The lady was helpless. One day the Brahman was going to take his bath at some nearby well. The lady told him, Please take Mangal along with you. He is  quite grown-up. He will fetch water for your bath.

He will also rub your back, the Brahman agreed and took the boy along with him. He thought it would be the right time to push him into the well and to get-rid of a sinful child for good. As the boy was to fetch water, the Brahman pushed the boy into the well and  returned home.

To her great surprise, the woman noticed that the Brahman did not have wet dhoti on his shoulders. She said, Have you taken your bath? The Brahman said, Yes. The lady said, Please give me your wet dhoti to enable me to spread it on the string. The Brahman was nonplussed.

He had guilty conscience. He murmured some words and tried to leave the house. The wife said, Where is my Mangal? Where is my Mangal? O! Mangal, appear before my eyes if I am a cheste lady and you are my true son. To the great surprise of both the wife and the husband, Mangal appeared at the door.

He embraced his mother and touched his fathers feet. That might Lord Hanuman appeared before the Brahman in his dreams and said, O! poor creature, I blessed you with a son, and you suspect your wife of adultery. You must feel sorry for it, The Brahman realized his mistake.

His wife regularly observed fasts on Tuesdays. Thereafter they led a happy life. It is said that whosoever reads or listens to this  story and keeps regular fasts Lord Hanuman protects him from air evils and bestows all happiness.