विक्रमी सम्वत पंचांग के वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को ‘अक्षय तृतीया’ कहते हैं। इस तिथि से सतयुग का आरंभ माना जाता है। भगवान परशुराम जी का जन्म भी इसी दिन हुआ था। इसीलिए इसे ‘युगादि तृतीया’ या ‘परशुराम तृतीया’ भी कहते हैं। यह तिथि मनुष्य को सौभाग्य प्रदान करने वाली तिथि है।
इस दिन गंगा स्नान तथा पितृ तर्पण का बड़ा महात्म्य माना जाता है। इस दिन पूर्वा में स्नान, जप-तप, होम, स्वाध्याय एवं पितृ-तर्पण आदि किये जाते हैं। स्नान के बाद लक्ष्मी और नारायण के दर्शन किये जाते हैं। ब्राह्मणों को घड़ा, पंखा, सत्तू, शक्कर, चावल, नमक, सोना, वस्त्र, खड़ाऊँ, इत्र, ककड़ी, खरबूजा, तरबूज, लड्डू तथा दही का दान दिया जाता है।