होली का उत्सव सम्पन्न होने के बाद लोग शीतला माता का व्रत और पूजन बडी श्रद्धा के साथ करते हैं। वैसे, शीतला देवी की पूजा चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि से प्रारंभ होती है, लेकिन कुछ स्थानों पर इनकी पूजा होली के बाद पडने वाले पहले सोमवार अथवा गुरुवार के दिन भी की जाती है।
प्राचीनकाल से ही भगवती माता शीतला का बहुत अधिक माहात्म्य रहा है। स्कन्दपुराण में इनकी अर्चना का स्तोत्र शीतलाष्टक के रूप में प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र की रचना भगवान शंकर ने लोकहित में की थी। शीतलाष्टक न केवल शीतला देवी की महिमा गान करता है, बल्कि उनकी उपासना के लिए भक्तों को प्रेरित भी करता है। शास्त्रों में भगवती शीतला की वंदना के लिए शीतलाष्टक को दिव्य मंत्र बताया गया है-