ऐसा अमंगल रूप धारण करने पर भी महादेव अत्यंत भोले और कृपालु हैं जिन्हें भक्ति सहित एक बार पुकारा जाय तो वह भक्त के हर संकट को दूर कर देते हैं। महाशिवरात्रि की कथा में शिव जी के इसी दयालु और कृपालु स्वभाव का परिचय देखने को मिलता है।
एक शिकारी था, जो शिकार करके अपना तथा अपने परिवार का भरण पोषण करता था। एक दिन की बात है शिकारी पूरे दिन भूखा प्यासा शिकार की तलाश में भटकता रहा परंतु कोई शिकार हाथ न लगा। शाम होने को आई तो वह एक बेल के पेड़ पर चढ़ कर बैठ गया। वह जिस पेड़ पर बैठा था उस वृक्ष के नीचे एक शिवलिंग था।
रात्रि में व्याघ अपना धनुष वाण लिए शिकार की तलाश में बैठा था और उसे शिकार भी मिला परंतु निरीह जीव की बातें सुनकर वह उन्हें जाने देता। चिंतित अवस्था में वह बेल की पत्तियां तोड़ तोड़ कर नीचे फेंकता जाता है और जब सुबह होने को आई तभी शिव जी माता पार्वती के साथ उस शिवलिंग से प्रकट होकर शिकारी से बोले आज शिवरात्रि का व्रत था, और तुमने पूरी रात जागकर विल्वपत्र अर्पण करते हुए व्रत का पालन किया है। इसलिए आज तक तुमने जो भी शिकार किए हैं और निर्दोष जीवों की हत्या की है मैं उन पापों से तुम्हें मुक्त करता हूँ। साथ ही शिवलोक में तुम्हें स्थान भी देता हूँ। इस तरह भगवान भोले नाथ की कृपा से उस व्याघ का परिवार सहित उद्धार हो गया।