मूलमन्त्र से विन्यास, ध्यान व मानसोपचार से पूजन करें ।
मूल मन्त्र – “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे क्लीं ह्रीं ऐं ॐ नमः स्वाहा” का यथाशक्ति जाप करें समर्पण पश्चात् उत्कीलन करें यथा -
“ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं चण्डि सकलमन्त्राणां शापविमोचनं कुरु-कुरु स्वाहा ।”
तीन बार जपें
“ॐ श्री ह्रीं क्लीं चण्डि सप्तशतिके सर्वमन्त्राणां उत्कीलनं कुरु-कुरु स्वाहा ।” (तीन बार जपें)