हिंदी विक्रमी सम्वत पंचांग की तिथियों के अनुसार वैशाख व जेठ का महीना ग्रीष्म ऋतु का कहलाता है। ग्रीष्म ऋतु अपने नाम के अनुसार गर्म व तपन से भरी मानी जाती है। इस ऋतु में रातें छोटी व दिन लम्बे होते हैं। अत्यधिक गर्मी पडने के कारण ही इसे ग्रीष्म नाम दिया गया है।
ग्रीष्म ऋतु में पृथ्वी का प्रत्येक प्राणी गर्मी की मार से व्यथित हो रहा होता है। गरम लू लोगों को त्रस्त कर डालती है। लू लगने से हर वर्ष हज़ारों लोग मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। इस ऋतु में मौसमी फलों; जैसे - जामुन, शहतुत, आम, खरबूजे, तरबूज आदि फलों की बहार आई होती है।
अत्यधिक गर्मी के कारण लोग परेशान व बेहाल हो जाते हैं। लोग इस समय नींबू पानी, लस्सी और बेलपथरी का रस पीकर गरमी को दूर भागने का प्रयास करते हैं। लोग दोपहर में घर से निकलना बंद कर देते हैं। दोपहर के समय चारों तरफ सन्नाटा छा जाता है।