विष्कुम्भ योग में जन्म लेने वाले जातक के गुण :
विष्कुम्भ योग में जन्म लेने वाले जातक रूपवान्, भाग्यवान्, अनेक प्रकार अलंकारों से संपन्न, स्त्री, मित्रादि से सुखी, स्वतंत्र रहने वाले, शारीरिक सौन्दर्य की ओर झुकाव रखने वाले होते हैं।
इस योग से विष योग को बल मिलता है और जातक अल्पायु होता है। इस योग को विष से भरा हुआ घड़ा माना जाता है, इसीलिए इसका नाम विष्कुम्भ योग है।
विष्कुम्भ योग के जातक देखने मे बहुत खूबसूरत होते है, लेकिन इनके मन के अन्दर चालाकी और छलकपट का भरा होना पाया जाता है, अक्सर इस योग मे जन्म लेने वाले जातक डाक्टर, सर्जन, दवाई बनाने वाले, लोगो की पीडा को दूर करने के लिये अपने अनुसार सहायता देने वाले होते है।
विष्कुम्भ योग मे जन्म लेने वाला जातक अगर किसी की सहायता करता है तो जिसकी सहायता की है उसे भूल नही पाता है। भले ही विष्कुम्भ योग के जातक ने जिसकी सहायता की है उस व्यक्ति के साथ पूर्व में छल कपट या धोखा देने वाले काम किये हों, फ़िर भी विष्कुम्भ योग में जन्मे जातक के प्रति लोग समर्पित भावना से ही मदद करने के लिये गुहार लगाते है।
विष्कुम्भ योग में जन्मे जातक के पास जो भी जमा पूंजी होती है वह जातक के आगे की सन्तानों के लिये भी परेशानियां ही उत्पन्न करती है। ऐसे जातकों की सन्तान अधिक पूंजी या ज्ञान की वजह से और अधिक दिमाग का प्रयोग नही कर पाने के कारण परेशान होती रहती है। अक्सर विष्कुम्भ योग में जन्मे जातकों को फ़ोडा, फ़ुंसी, खून की बीमारी, शुगर आदि की बीमारी उम्र के आखिरी पड़ाव मे मिलती है।
विष्कुम्भ योग के समय क्यों न करें शुभकार्य :
जिस प्रकार विष पान करने पर सारे शरीर में धीरे-धीरे विष भर जाता है वैसे ही इस योग में किया गया कोई भी कार्य विष के समान होता है अर्थात इस योग में किए गए कार्य का फल अशुभ ही होते हैं।