लग्न से पांचवें स्थान का स्वामी बुध, गुरु या शुक 5, 7, 9 या 10वें स्थान में बैठा हो |
चोथे स्थान में उस राशि का ही स्वामी हो |
पांचवें स्थान पर गुरु हो |
चतुथैश 6 , 8, या 12वें स्थान पर न हो |
ब्रहस्पति उच्च का होकर 5वें स्थान को देखता हो |
बुध उच्च का हो |
पांचवें स्थान पर शुष बुध पड़ा हो |
गुरू चोथे, बुध पांचवें तथा पांचमेस 9 या 10वें स्थान पर हों |
दसवें भाव का स्वामी लग्न में हो |
11वें घर का स्वामी 11वें स्थान में हो |
पंचमेश स्वगृही होकर 1 या 5वें स्थान में हो |
पंचमेश व्ययेश हो |
दुतीय स्थान में शुभग्रहो से दृष्ट मंगल हो |
रवि से पंचम स्थान पर भोम, शुक्र और शानि हो, तो जातक अगरैजी विधा का जानकार होता हे |
शनि -गुरू नवम-पंचम का सम्बन्थ करे, तो जातक विशविधालय में प्रोफेसर बनता हे |