लग्न कुंडली से सप्तम भाव में सूर्य की स्थिति जातक के वैवाहिक जीवन को कलहपूर्ण बनती है! ऐसे जातक चाहे वह स्त्री हो या पुरुष उनका विवाह कितना ही शिक्षित एवं स्म्रद्ध्शाली परिवार में हुआ हो, उनका वैवाहिक जीवन अत्यंत कलहपूर्ण होता है ! ऐसे जातक का विवाह विलम्ब से तो होता ही है लकिन साथ ही साथ जातक विपरीत योनि के प्रति अनादर और वस्नाकूल रहस्यात्मकता से आप्तावित रहता है ! यदि जातक की कुंडली में शुक्र अशुभ भावो का अधिपति होकर दुःख स्थान में स्थित हो तो जातक चारित्रिक दोष के कारन वैवाहिक जीवन को कलहपूर्ण बना लेता है !
जातक के 23 वें साल के 25 वें साल में चारित्रिक दोष होने की प्रबल सम्भावनाये होती है ! जातक विवाह के बाद भी अनेक यौन संबंधों में रूचि रखता है ! जो की वैवाहिक कलह की सूचनाये देता है ! मेष, सिंह अथवा धनु राशिगत सूर्य लग्न अथवा सप्तम भाव में स्थित हो तो जातक का विवाह विलं से होता है तथा एक से अधिक विवाह होते है लेकिन वैवाहिक जीवन कलहपूर्ण होकर वैवाहिक विधेद को जन्म देता है !