पर्णबली शुक्र की दशा जातक को भोग-विलास में लीं करती है | उसे नवीन-वाहन लाभ होता है |
विभिन्न स्त्रियों से प्रेम-सम्बन्ध बनते हैं तथा नवीन माकन बनता है या पुराना माकन बदलकर नये माकन में जाने का योग होता है | जातक सुगन्धित वस्तुओं व नृत्य-गायनादि से भी आनन्द प्राप्त करता है |
मध्यबली शुक्र की दशा में व्यापार तथा कृषि-कार्य में अत्यधिक लाभ होता है | जातक भोग-विलास में लिप्त रहता है | आय के नवीन साधन बनते हैं तथा मित्र, पुत्र तथा स्त्री से पूर्ण सुख प्राप्त होता है |
अल्पबली शुक्र की दशा जातक के धन का नाश करती है | वह नये-नये कुटेव सीखता है तथा रोग से पीड़ित होता है | स्त्री-पक्ष से उसे हानि उठानी पड़ती है तथा शत्रुओं से वैमनस्य होता है, जिसके फलस्वरूप मन अस्थिर तथा बुद्धि विभ्रम हो जाती है |
नष्टबली शुक्र कि दशा में जातक का स्थानान्तरण होता है | उसे अपने स्वजनों के विरोध का सामना करना पड़ता है | पुत्रो से वैमनस्य बढ़ता है तथा धन-हानि होने से जातक चिन्तित रहता है |
दशापति शुक्र ६, ८, १२ से अन्य स्थानों में नष्टबली होने पर भी आधा शुभफल देता है और हीनबली मध्यफल तथा शुभफल देता है | उत्तमबली अत्यन्त शुभफल देता है | ६, ८, १२वें स्थानों में शुभ होने पर भी अशुभफल देता है |