षष्ठेश सूर्य के साथ 1 या 8वें भाव में हो, तो मुखरोग |
षष्ठेश चन्द्र के साथ 1 या 8वें भाव में हो, तो तालुरोग |
12वें भाव में गुरू और चन्द्र साथ हों |
मंगल और शनि का योग 6 या 12वें भाव में हो |
लग्नेश रवि का योग 6, 8 व 12वें स्थान में हो |
मंगल और शनि लग्न स्थान या लग्नेश को देखते हों |
सूर्य ,मंगल तथा शनि-तीनों जिस स्थान में हो, उस स्थान वाले अगं पर रोग होता है |
पापी मंगल पापराशि में हो |
शुक्र और मंगल में सूर्य का योग हो |
अष्टमेश और लग्नेश साथ हो |
छठे स्थान पर शनि की पुणॅ दृष्टी हो |
चन्द्र और शनि एक साथ कर्क राशि में हो |
छठे भाव में चन्द्र, शनि और बुध हों, तो जातक कोढ़ी होता है |
अष्टमेश नीच ग्रहों के बीच में हो |
सूर्य पापग्रह द्रारा दृष्ट हो |