प्रश्न पूछनेवाले के दिल में क्या है या वह किस सम्बन्ध में प्रश्न करना चाहता है, इसकी जानकारी के लिए निचे लिखे नियमों को ध्यान में रखना चाहिए |
प्रश्न लग्न विषम राशि (१, ३, ५, ७, ९, ११ ) पर हो, तो धातु-सम्बन्धी प्रश्न २, ६, ८ लग्न रहे, तो मूल-सम्बन्धी तथा ३, ६, ९ हो, तो जीव-चिन्ता समझनी चाहिए |
सूर्य या मंगल बलवान होकर केंद्रगत हों, तो धातु-सम्बन्धी, बुध, शनि हो, तो मूल-सम्बन्धी एवं चन्द्रमा, ब्रहस्पति हो, तो जीव-चिन्ता समझनी चाहिए | इस प्रकार की स्थिति में शुक्र हो, तो भी जीव-चिन्ता ही समझनी चाहिए |
लग्न में १, ५, ८ राशि हो तथा मंगल या शनि से युक्त अथवा द्रष्ट हो, तो धातु-सम्बन्धी ३, ६, ११ राशि लग्न में हो तथा बुध या शनि युक्त या द्रष्ट हो, तो मूल-सम्बन्धी एवं २, ७, ५, १२, ९, ४ राशि चन्द्र, गुरु, शुक्र से युक्त अथवा द्रष्ट हो, तो जीव-सम्बन्धी प्रश्न जानना चाहिए |
लग्नेश वा द्वितीयेश में जो बलवान हो अथवा इनके अंशों से जितने भाव में चन्द्रमा हो, उस भाव-सम्बन्धी ही प्रश्न है, ऐसा जानना चाहिए |
चन्द्रमा से लग्नेश जितने भाव में हो, उससे सम्बन्धी प्रश्न ही विचार रखा है, ऐसा समझना चाहिए |
सर्वोत्तम बली ग्रह या तत्काल लग्न का नवांशेश लग्न में हो, तो शरीर-सम्बन्धी, तीसरा हो , तो मात्र-सम्बन्धी, सप्तम में स्त्री-सम्बन्धी, नवम में नभ-सम्बन्धी, दशम में राज्य-सम्बन्धी और एकादश में आय-सम्बन्धी प्रश्न जानना चाहिए |
पुर्वोत्क ग्रह चरराशि, चरनवांश में दशम स्थान से ऊपर १०, ११, १२ में हो, तो परदेश-सम्बन्धी या प्रवासी-सम्बन्धी प्रश्न जानना चाहिए |
सप्तम स्थान में सूर्य, शुक्र या बली मंगल हो, तो प्रेमिका अथवा परस्त्री-सम्बन्धी, ब्रहेश्पति हो, तो अपनी स्त्री-सम्बन्धी, बुध हो, तो वेश्या, चन्द्र हो, तो भी वेश्या एवं शनि हो, तो ही जाति की स्त्री-सम्बन्धी प्रश्न जानना चाहिए |
चर राशि नवांश में सप्तमाधिक ७, ८, ९ में हो, तो प्रश्नकर्ता का मानसिक चिन्ता-सम्बन्धी प्रश्न है, ऐसा कहना चाहिए |