यदि वर्षकुण्डली में जातक को पूर्णबली मंगल की दशा चल रही हो, तो जातक सेना में असाधारण वीरता दिखाता है, जिसके परिणामस्वरूप उसकी तरक्की होती है | उसमें साहस का संचार होता है तथा स्वास्थ्य में असाधारण प्रगति दिखाई देती है |
यदि मध्यबली मंगल की दशा चल रही हो, तो उसे भूमि-सम्बन्धी कार्यों से प्रचुर मात्रा में धन प्राप्त होता है | उच्चतर वाहन-प्राप्ति का योग होता है, शत्रु परास्त होता हैं तथा कोर्ट-कचहरी में उसकी जीत होती है |
यदि दशापति मंगल अल्पबली हो, तो अपनी दशा में पित्त और गरमी के विकार से शरीर में रोग उत्त्पन्न करता है | शत्रुओं से भय बना रहता है तथा झूठे मुकदमे आदि में उलझकर कष्ट भी प्राप्त कर सकता है | परिवार में कलह तथा अशांति बनी रहती है |
यदि वर्ष में नष्टबली मंगल की दशा हो, तो भईयों में वैर होता है, स्वजनों में सम्मान हानि होती है तथा द्रव्य हेतु मुकदमेबाजी में द्रव्य-नाश हो जाता है |
घर में चोरी भी हो सकती है, रुधिर-सम्बन्धी कई विकार होने से उसे धन-हानि सहन करनी पड़ती है |
दशापति मंगल ३, ६ और ११वें स्थान में नष्टबली हो, तो आधा शुभफल देता है, हींनबली हो, तो मध्यबलि फल और मध्यबलि होने पर शुभफल देता है तथा उत्तमबली हो, तो अत्यन्त शुभफल देता है |