मकर संक्रांति

 

संक्रांति भारत में मनाया जाने वाला एक फसल उत्सव है। संक्रांति शब्द 'संक्रम' से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'परिवर्तन'। इसे 'मकर संक्रांति' के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि उस दिन सूर्य 'मकर राशि' में प्रवेश करता है। 

यह आमतौर पर हर साल 14 जनवरी को पड़ता है। सूर्य मकर रेखा से कर्क राशि की ओर अपनी उत्तरवर्ती यात्रा शुरू करता है। इस यात्रा को 'उत्तरायण' कहा जाता है, जिसका अर्थ है उत्तर की ओर प्रस्थान करना। हम, भारत में, भूमध्य रेखा के उत्तर में हैं। संक्रांति दिवस पर खुशी का माहौल होता है, क्योंकि सर्द रात कम होने लगती है, और स्वस्थ धूप अर्थात लम्बे दिन शुरू होते है। 

संक्रांति एक तीन दिवसीय त्योहार है। पहले दिन 'भोगी', दूसरे दिन 'संक्रांति' और तीसरे दिन को 'कानुमु' कहा जाता हैं। 

पहला दिन : भोगी :- 

इन दिनों में लोग बहुत जल्दी उठते हैं और सर्दियों को विदाई देने हेतु सभी पुराने अपशिष्ट पदार्थों का अलाव जलाते है। सड़कों को साफ सुथरा रखा जाता है और महिलाओं के द्वारा सुंदर रंगोली भी बनाई जाती है। फूलों से सजाए गए छोटे गोदांग के घनाकार टुकड़े प्रत्येक घर के सामने रखे जाते हैं, जो धन की देवी लक्ष्मी का स्वागत करते हैं। 

शाम के समय में, कुछ अन्य भागों में 'भोगीपालु' को बच्चों के स्वास्थ्य के लिए दिया जाता है। कुछ अन्य हिस्सों में लड़कियों द्वारा कोरस में 'गोबियलो' गाते हुए नृत्य किया जाता है।

संक्रांति को तमिलनाडु में 'पोंगल' और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में 'पेद्दा' या 'पेद्दला' पांडुगा भी कहा जाता है। 'पेद्दा' का अर्थ है 'बड़ा' और 'पंडुगा' का मतलब त्यौहार होता है। यह एक ऐसा त्यौहार है, जिसमें पूर्वजों के लिए प्रार्थना की जाती है और प्रसाद बनाया जाता है। 

यह देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तिथियों को मनाया जाता है, क्योंकि यह एक फसल उत्सव है। इसलिए यह एक अच्छी फसल देने के लिए भगवान को धन्यवाद देने का त्योहार है। जनवरी तक धान, दाल, गन्ना और अन्य सभी अनाज की कटाई हो जाती है।

दूसरा दिन : संक्रांति या पोंगल :- 

यह दावत का दिन है। मीठे भोजन को नए चावल, नए गुड़, नई सब्जियों और नए दूध के साथ नए बर्तन में तैयार किया जाता है। तैयार पोंगल (मीठा भोजन) सूर्य देव को अर्पित किया जाता है। फिर पूर्वजो को प्रसाद दिया जाता है जिसमे कुछ विशेष व्यंजन होते हैं।

इस दिन सभी लोग नए कपड़े पहनते हैं। गरीबों को भोग कराया जाता है। उत्तर में और आंध्र प्रदेश में भी लोग पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हैं और प्रार्थना करते हैं। मकर संक्रांति के दिन गंगा में डुबकी लगाना पवित्र माना जाता है। 

तीसरा दिन : कानुमु :- 

मवेशियों के लिए यह एक शुभ दिन है। सभी मवेशियों को स्नान कराया जाता है। उन्हें कपड़े पहनाए जाते हैं और फूलों से सजाया जाता है। सींग चित्रित किए जाते हैं। मवेशियों को पके हुए मीठे चावल खिलाए जाते हैं। कुछ लोग गायों की पूजा भी करते हैं। 

शाम को बैल गाड़ियों को खींचने और बड़े पत्थरों को खींचने के लिए एक दौड़ भी आयोजित की जाती है। जिसके विजेता को भारी पुरस्कार राशि प्रदान की जाती है। देश के कुछ भागों में नवयुवकों द्वारा खेले जाने वाले ये खेल बहुत अधिक प्रचलन में हैं। 

संक्रांति सभी के लिए खुशी और उल्लास का त्यौहार है।