ऐसा माना जाता है कि वैदिक गुरु मंत्र का विशेष रूप से गुरुवार को या हर रोज भी बृहस्पति की पूजा के बाद बोलना मधुमेह, लीवर के रोग जैसे पीलिया, आंत रोग, अपेंडिक्स, हार्निया, कान के रोग, मोटापा और वात रोगों में काफी राहत व फायदा देता है।
गुरु पूजा की सरल विधि एवं मंत्र –
स्नान के बाद नवग्रह मंदिर या देवालय में गुरु की पीले चंदन, पीले फूलों, धूप और दीप से पूजा कर नीचे लिखे अचूक मंत्र का यथाशक्ति पीले आसन पर बैठ जप करें। पढऩे में कठिनाई हो तो किसी योग्य ब्राह्मण से भी यह मंत्र जप कराया जा सकता है। रोगनाशक व बेहद असरदार, शुभ फल देने वाला विशेष वैदिक गुरु मंत्र कुछ इस प्रकार है।
ॐ बृहस्पतेऽति यदर्यो अर्हाद्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु।
यद्दीदयच्छवसे ऋतु प्रजात तदस्मासु द्रविणं देहि चिऋम्।।
इस मंत्र के बाद विद्वान ब्राह्मण से या परामर्श से यथाशक्ति हवन करें, जिसमें रोग से संबंधित हवन सामग्री का उपयोग करना शुभ होता है।