कृष्ण जन्माष्टमी को कृष्णाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। उत्तर प्रदेश में इसे अष्टमी भी कहा जाता है।
जन्माष्टमी अर्थात श्री कृष्ण का जन्म दिवस, हिन्दू धर्म का बहुत ही प्रसिद्ध व् लोकप्रिय त्यौहार है। उन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। गोकुल और वृंदावन में उनका पालन-पोषण हुआ था। जन्माष्टमी, मुंबई और पुणे में मुख्य रूप में दही हांडी के रूप में जानी जाती है। गुजरात में जहां द्वारका शहर में द्वारकाधीश मंदिर है, वहां पर इस त्यौहार को बड़े जोश खरोश के साथ मनाया जाता है।
पूर्वी राज्य उड़ीसा, नबद्वीप में पुरी और पश्चिम बंगाल के लोग इसे उपवास के साथ मनाते हैं और आधी रात को पूजा अर्चना करते हैं। भागवत पुराण से ही पुराण प्रकाशन लिया गया है वह उसके 10 वें स्कन्ध से लिया गया है जो भगवान कृष्ण के जीवन से संबंधित है।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी से अगले दिन को नंद उत्सव, नंद महाराज और यशोदा महारानी का आनंद उत्सव कहा जाता है। उस दिन लोग अपने व्रत को खोलते हैं और प्रातः सुबह विभिन्न बनायीं हुई मिठाइयों को प्रसाद स्वरुप ग्रहण करते हैं। कृष्णष्टमी का पर्व खुशहाली और एकता की भावना लाता है। यह दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा को समर्पित होता है। श्रीकृष्ण ने गीता में सलाह और कई उपदेश दिए। भागवत पुराण में लिखे गए हर शब्द ने हमेशा लोगो को अन्याय के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा दी है।