कार्य भाव का स्वामी कार्य स्थान को देखे, तो कार्य शीघ्र ही सम्पन्न होगा, ऐसा समझना चाहिए |
कार्येश लग्नेश को देखता हो, तब भी कार्य शीघ्र हुआ समझना चाहिए |
कार्येश लग्न में हो और लग्नेश को देखता हो, तो कार्य शीघ्र ही सम्पन्न होगा |
चन्द्रमा लग्न को या लग्नेश को देखता हो, तब भी कार्यसिद्धि शीघ्र ही समझनी चाहिए |
लग्नेश और कार्येश एक ही स्थान पर हों, तो कार्य तुरन्त होगा, ऐसा समझना चाहिए |
लग्नेश, कार्येश को न देखता हो, तो कार्य के पूरा होने में विलम्ब होता है |
लग्नेश कार्यस्थान को न देख रहा हो, तो भी कार्य में विलम्ब ही समझना चाहिए |
लग्नेश और अष्टमेश दोनों अष्टम स्थान में एक ही द्रेष्काण में हों, तो पूछनेवाले को शीघ्र ही लाभ होता है |
लग्नेश और लाभेश परस्पर द्रष्ट हों, तो कार्य तुरन्त होकर लाभ पहुंचता है |
चन्द्रमा जिस स्थान को देखता है, उस भाव की वृद्धि होती है |
लग्नेश छठे स्थान में हो, तो कार्य नहीं होगा, ऐसा समझा जाना चाहिए |