Home » Yog in Astrology » Janm Kundali Mein Dwivivah Ka Yog
 

जन्मकुंडली में द्विविवाह का योग

 

अगर मंगल सप्तम भाव में हो और उसपर शनि की दृष्टि हो तो दूसरा विवाह अवश्य होता है।

सप्तमेश उच्च राशि का होकर केंद्र या त्रिकोण में हो और उस दशमेश देखता हो ,तो एकाधिक शादियों की संभावना होती है।

सप्तमेश लग्न में हो तो जितने ग्रह सप्तम भाव में होंगे उतनी ही शादियां जातक जातीका की होने का आसार हैं।

यदि सप्तमेश व द्वितीयेश शुक्र के साथ त्रिक भाव में हों और जातक जितने पाप ग्रहों से युत या दृष्ट हो उतने ही पार्टनर का वियोग होता है।

लग्नेश लग्न में तथा अष्टमेश लग्न या सप्तम में हो तो जातक का दूसरा विवाह होता है।

लग्नेश वा धनेश छठे भाव में हो तथा सप्तम में पपग्रह हो तो दूसरा विवाह हो।

सप्तमेश शत्रु या नीच राशि में शुभ ग्रह के साथ हो तथा सप्तम पाप युत हो तो दूसरा विवाह हो।

अगर नवांश में गुरु धनु या मीन राशि में हो तो दूसरी शादी अवश्य होगी ।