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हनुमान जन्मजात सिद्ध योगी थे

 
हनुमान जन्मजात सिद्ध योगी थे

हनुमान जी के बाल्य जीवन से जुड़ी एक कथा है। हुआ यह कि बाल हनुमान ने उगते हुए लाल शूरज को देखकर उसे एक पका हुआ फल समझ लिया। और लपककर उसे अपने मुख में रख लिया। इस कथा को पढ़कर किसी के मन में यह संदेह हो सकता हे कि कोई मनुष्य वो भी बाल्य अवस्था में एसा कैसे कर सकता है? किन्तु गहराई से और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सोचने पर इस शंका का समाधान हो जाता है। यह एक सर्वमान्य सत्य हे कि जो भी ब्रह्माण्ड में वह एक पिण्ड में भी बीज रूप में उपस्थित होता है। बाल हनुमान को जन्म से ही वे अद्भुत सिद्धियां प्राप्त थीं जो किसी योगी को दीर्घ साधना करने के बाद प्राप्त होती हैं। इसके अलावा एक कारण यह भी हे कि वीर हनुमान दैवीय शक्तियों से उत्पन्न हुए थे।आगे चलकर हम देखते हें कि युवा हनुमान के जीवन में पग-पग पर चमत्कार घटित होते हैं। माता सीता की खोज में जाते हुए समुद्र को लांघ जाना, जरूरत पडऩे पर शरीर को पहाड़ जितना बड़ा कर लेना या मच्छर जितना छोटा कर लेना, पूरे पहाड़ को एक हाथ पर उठा लेना आदि। ऐसी ओर भी कितनी ही घटनाएं हैं जो चमत्कार की श्रेणी में आती हैं। किन्तु वास्तविकता यह हे कि इन अद्भुत घटनाओं में कोइ चमत्कार नहीं बल्कि विज्ञान है। विज्ञान के विद्यार्थी जानते हें कि शरीर के आकार का छोटा-बड़ा होना शरीर में स्थित कुछ विशेष ग्रंथियों पर निर्भर होता है और हनुमान का इन ग्रंथियों पर पूर्ण नियंत्रण था। चूंकि हनुमान जन्मजात सिद्ध योगी थे इसलिये उनके लिये इस तरह के चमत्कार प्रकट करना अति सामान्य बातें थीं।