यदि दशापति बुध पूर्णबली हो, तो उस वर्ष जातक का गणित तथा शिल्प-विद्या से यश बढ़ता है | दूत-सेवा से भी लाभ प्राप्त हो सकता है, ऊँचे अफसरों से मित्रता के सम्बन्ध स्थापित होते है, आय के कई नये स्रोत खुलते हैं तथा जातक कि प्रसिद्धि लेखन-कार्य द्वारा होती है |
यदि दशापति बुध अल्पबली हो, तो जातक कई प्रकार की कलाओं में प्रवीण होता है | मित्रों से उसे सम्मान और लाभ पहुंचता है तथा लिखने-पढ़ने के कार्यों से जातक ख्याति प्राप्त करता है, समाज में सम्मानित होता है, परन्तु ग्रह-कलह से जातक एकान्तप्रिय-सा हो जाता है |
अल्पबली बुध की दशा में जातक को समाज में तिरस्कार सहन करना पड़ता है | व्यर्थ ही उस पर झूंठा कलंक लगता है, जिससे वह परेशानी अनुभव करता है | उसे बोलने की सुध नहीं रहती तथा वुर्थ के वाद-विवाद में जातक अपनी हानि भी कर बैठता है |
हीनबली बुध की दशा जातक मन्द्बुधि होकर अपनी उन्नति के सभी द्वार अवरुद्ध कर लेता है | लडाई मे उसके अंगो को क्षति पहुँचती है और नौकरी से उसे प्रशासकीय हानि उठानी पड़ती है | वात, पित्त और कफ-सम्बन्धी रोगों से जातक परेशानी अनुभव करता है | उसका दिया हुआ अथवा संचित द्रव्य नष्ट हो जाता है |
यदि दशापति बुध ६, ८, १२वें स्थानों से किसी अन्य स्थान में हो, तो नष्टबली भी आधा शुभफल देता है तथा इससे भिन्न स्थानों में नष्टबली बुध मध्यबली का फल और मध्यबली बुध शुभफल देता है | उत्तमबली बुध अत्यन्त शुभफल देता है | ६, ४, १२वें स्थानों में उत्तमबली बुध भी अशुभ और हीनबली अत्यन्त अशुभफल देता है|