विल्वपत्र का महात्म्य
भगवान् शिव के विल्वपत्र का महात्म्य- विल्व महादेवजी का स्वरूप है, और इसकी देवताओं ने भी बड़ी स्तुति की है। इसकी महिमा कठिनता से जानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि संसार में जितने भी पवित्र और प्रसिध्द तीर्थ हैं, वे सभी विल्वमूल में ही निवास करते हैं। क्योंकि विल्वमूल में लिंग रुपी अवव्यम महादेव का वास रहता है, और जो पुण्यात्मा इसकी पूजा करता है, वह निश्चय ही भगवान शिव को प्राप्त होता है।
ऐसे विल्वमूल में जो भगवान् शिव को जल चढता है, मानो वह सब उन तीर्थों में स्नान कर चुका है जो पृथ्वी पर पवित्र माने जाते है। जो मनुष्य विल्वमूल को गंध-पुष्पादि से पूजता है, वह शिवलोक को प्राप्त होता है। साथ ही उसको संतान सुख की भी प्राप्ति होती है।
जो भक्त श्रद्धा आदरपूर्वक विल्वमूल में दीपक जलाता है, तथा उसकी शाखा को लेकर हाथ से उसके नवीन पत्ते ग्रहण कर विल्व की पूजा करता है, वह सब पापों से छूट जाता है। तथा जो भक्त विल्वमूल में किसी शिव-भक्त को भक्तिपूर्वक भोजन कराता है, उसे एक के भोजन का कई करोड़ गुना फल प्राप्त होता है।
इस प्रकार का विल्व-पूजन प्रकृति और निवृति, दोनों धर्म वालों के लिए उतम है।