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अतिगण्ड योग

 

अतिगण्ड योग में जन्म लेने वाले जातक के गुण


अतिगण्ड में जन्म लेने वाला व्यक्ति अहंकारी, अल्पायु, भाग्यहीन, क्रोधी, धूर्त, कलही, कण्ड रोड से पीड़ित, बड़ी ठोडी वाला, पाखंडी, मातृहन्ता होता है। अतिगण्ड में जन्म लेने वालों का यदि जन्म गण्ड नक्षत्र में हो तो ऐसा व्यक्ति कुलहन्ता होता है और इस योग से बालारिष्ट योग बनता है। इस योग को बड़ा दुखद माना गया है। इस योग में किए गए कार्य दुखदायक होते हैं। इस योग में किए गए कार्य से धोखा, निराशा और अवसाद का ही जन्म होता है। अत: इस योग में कोई भी शुभ या मंगल कार्य नहीं करना चाहिए और ना ही कोई नया कार्य आरंभ करना चाहिए।

जातक के जन्म लेने के बाद ही सातवे दिन सातवे महिने सातवी साल तक पिता के लिये कष्ट का समय माना जाता है अगर पिता बच जाता है तो जातक के प्रति भी अस्पताली कारण बने रहते है जिस दिन से जातक पैदा होता है परिवार पर आफ़तो का पहाड ही किसी न किसी रूप मे टूटता रहता है जातक की बीमारी या पिता का कार्य आदि से मुक्त होना अथवा मामा परिवार के प्रति अक्समात ही आफ़ते आना भी माना जाता है,जातक को पेट के रोग अधिक होते है अक्समात ही आंतो की खराबी चमडी के रोग ऊंचे स्थान से नीचे गिरने के कारण लोगो के द्वारा पहले सामाजिक रूप से बढावा देने और बाद मे अक्समात ही अपमान करने से जातक को मान हानि की आशंका बनी रहती है अक्सर जातक का धन किसी न किसी प्रकार से चोर डकैत आदि लोगो से लूटा जाता है या उसके साथ बडी ठगी के लिये भी कई कारण बनते है जातक के सिर के आगे के बाद जवानी मे ही उडने लगते है और जातक के पैर के अंगूठे के साथ वाली गांठ अक्सर उभरने लगती है जिससे पैरो की बनावट बेहूदी हो जाती है,जातक का ध्यान बाहरी लोगो की तरफ़ अधिक होता है उसकी माता से कभी नही बनती है वह माता को प्रताणित करना जानता है पिता से केवल स्वार्थ तक ही साथ रहता है जातक के नाना नानी की मौत बहुत ही बुरी बीमारी मे होती है जातक के मामा आदि के अन्दर कोई न कोई अपंगता जरूर मिलती है