1, 4, 5, 8 स्थानों का शनि लग्न में हो |
शुभग्रह 3, 6, 9 स्थानों में हो |
अष्टमेश पापग्रह होकर गुरु से दृष्ट हो |
चन्द्र, शनि और सूर्य आठवें भाव में हो |
लग्नेश निर्बल होकर पाप राशि में पड़ा हो |
दिन में जन्म हो और चन्द्रमा से आठवें स्थान पर पापग्रह हो |
दीघॉयु योग का अभाव हो |