भगवान की भक्ति में एक महत्वपूर्ण क्रिया है प्रतिमा की परिक्रमा। वैसे तो भक्तों द्वारा सामान्यत: सभी देवी-देवताओं की एक ही परिक्रमा की जाती है परंतु शास्त्रों के अनुसार अलग-अलग देवी-देवताओं के लिए परिक्रमा की अलग संख्या निर्धारित की गई है।
आरती और पूजा-अर्चना आदि के बाद भगवान की मूर्ति के आसपास सकारात्मक ऊर्जा एकत्रित हो जाती है, इस ऊर्जा को ग्रहण करने के लिए परिक्रमा की जाती है। पं. शर्मा के अनुसार सभी देवी-देवताओं की परिक्रमा की अलग-अलग संख्या है।
किस देवी-देवता की कितनी परिक्रमा :
- शिवजी की आधी परिक्रमा की जाती है।
- देवी मां की तीन परिक्रमा की जानी चाहिए।
- भगवान विष्णु जी एवं उनके सभी अवतारों की चार परिक्रमा करनी चाहिए।
- श्री गणेश जी और हनुमान जी की तीन परिक्रमा करने का विधान है।
परिक्रमा शुरु करने के पश्चात बीच में रुकना नहीं चाहिए। साथ परिक्रमा वहीं खत्म करें जहां से शुरु की गई थी। ध्यान रखें कि परिक्रमा बीच में रोकने से वह पूर्ण नही मानी जाती। परिक्रमा के दौरान किसी से बातचीत ना करें। जिस देवता की परिक्रमा कर रहे हैं, उनका ही ध्यान करें। इस प्रकार परिक्रमा करने से पूर्ण लाभ की प्राप्ति होती है।