भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को ही हस्तगौरी व्रत का भी अनुष्ठान होता है। महाभारत काल में भी इस व्रत को करने के प्रमाण मिलते हैं। भगवान श्री कृष्ण ने राज्य की प्राप्ति के लिए, धन-धान्य में वृद्धि के लिए कुंती को यह व्रत करने को कहा था। इसमें तेरह वर्षों तक शिव-पार्वती व श्री गणेश जी की आराधना में ध्यान लगाना पड़ता है और चौदहवें वर्ष में इस व्रत का उद्यापन किया जाता है।