सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि नित्यकर्म से शीघ्र निवृत्त हों।
अपने सामथ्र्य के अनुसार सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
संकल्प मंत्र के बाद श्रीगणेश की षोड़शोपचार पूजन-आरती करें। गणेशजी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं। गणेश मंत्र (ऊँ गं गणपतयै नम:) बोलते हुए 21 दुर्वा दल चढ़ाएं।
21 मोदक से भोग लगाएं। इनमें से 5 मोदक मूर्ति के पास ही रखें और 5 ब्राह्मण को दान कर दें। शेष मोदक प्रसाद के रूप में बांट दें।
पूजा में भगवान श्री गणेश स्त्रोत, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक स्त्रोत आदि का पाठ करें।
चंद्रमा के उदय होने पर पंचोपचार पूजा करें व अध्र्य दें कर भोजन करें।
व्रत का आस्था और श्रद्धा से पालन करने पर श्री गणेश की कृपा से मनोरथ पूरे होते हैं और जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त होती है।