कब करें देवउठनी एकादशी का व्रत पूजन - विशेष पूजन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को, कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से पूर्णिमा, देवउठनी एकादशी (मतांतर)।
पूजन सामग्री - गंगा जल, शुद्ध मिट्टी, कुश, सप्तधान्य, हल्दी, कुमकुम, अक्षत, पंचरत्न, लाल वस्त्र, कपूर, पान, घी, सुपारी, रौली, दूध, दही, शहद, फल, शकर, फूल, नैवेद्य, गन्नो, हवन सामग्री, तुलसी पौधा, विष्णु प्रतिमा।
कैसे करें तैयारी - तीन महीने पहले से तुलसी के पौधे को रोज जल चढ़ाएँ तथा पूजा करें। एकादशी को पंचांग से विवाह मुहूर्त निकाल मंडप तैयार करें। चार गन्नों को क्रॉस में खड़ा कर नया पीला कपड़ा बाँधकर मंडप बनाएँ। हवन कुंड बनाएँ। नांदीमुख श्राद्ध कर कुश आसन पर बैठकर आचमन करके संकल्प करें -
ॐ अद्येतादि देश कालौ संकीर्त्य (आराधक नाम) अहं, गोत्रः (गोत्र) ममाऽखिल-षिविंधिपांतकशमनपूर्वाकाभीष्ट सिद्ध द्वारा श्री महाविष्णु प्रीत्यर्थ तुलसी विवाह करिष्ये। तदंगत्वेन गणेश पूजन स्वस्ति पुण्याहवाचनं ग्रहयज्ञश्य करिष्ये।
संकल्प के बाद श्री गणेश पूजन करें, नवग्रह पूजा करें व कलश में जल भरकर पाटे पर कपड़ा बिछाकर तुलसी एवं श्री हरि विष्णु जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा करें -
ॐ इदं विष्णु विचक्रमेत्रेधानिदधेपदम्। समूढस्ययपा गुं पुरे।
ॐ भूर्भुवः स्वर्षिपणो इहागच्छ। तुलसी श्री सखि शुभे पापहारिणी पुण्यदे। नमस्ते नारदनुते नारायण सदा प्रिये।
ॐ भूर्भुवः स्वस्ततुलसी इहागच्छ इह तिष्ठेति।
देशकालौ संकीर्त्य मम सर्वपातक निवृतये श्रीविष्णु प्रीतये च तुलसी विवाहांगतया पुरुषसुक्तेन षोडशोपचारैर्महाविष्णु पूजनं करिष्ये।
सारी सामग्री भगवान विष्णु को अर्पित करें। जल, दूध, दही, घी, शहद, शकर व जल से स्नान कराएँ। पीले वस्त्र, लच्छा, यज्ञोपवीत चढ़ाएँ। इसी विधि से तुलसी पूजा करें -
वा दृष्ट्वा निखिलाघसंघ शमनी स्पृष्ट्वा वपुः पावनी।
शेभाणामभिवन्दितां। निग्सनी सिक्तऽन्तत्रासिनी।
प्रंत्यासन्तिविधायिनी भगवतः कृष्णस्य सरोपिता।
न्यास्तातच्चरणे विमुक्तिफलदा तस्यै तुलस्यैनमः।
इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा तुलसी के सम्मुख रखकर दोनों को एक वस्त्र से छुआकर मंगलाष्टक पदों का पाठ करें। दोनों पर अक्षत चढ़ाकर भगवान श्री विष्णु को तुलसी का दान करें। इसके बाद संक्षिप्त हवन करके तुलसी विवाह संपन्न करें।