लक्ष्मी कहां रहती हैं
मधुर बोलने वाला, कर्तव्यनिष्ठ, ईश्वर भक्त, कृतज्ञ, इन्द्रियों को वश में रखने वाले, उदार, सदाचारी, धर्मज्ञ, माता-पिता की भक्ति भावना से सेवा करने वाले, पुण्यात्मा, क्षमाशील, दानशील, बुद्धिमान, दयावान और गुरु की सेवा करने वाले लोगों के घर में लक्ष्मी का स्थिर वास होता है।
जिसके घर में पशु-पक्षी निवास करते हों, जिसकी पत्नी सुंदर हो, जिसके घर में कलह नहीं होता हो, उसके घर में लक्ष्मी स्थायी रूप से रहती हैं।
जो अनाज का सम्मान करते हैं और घर आए अतिथि का स्वागत सत्कार करते हैं, उनके घर लक्ष्मी निश्चत रूप से रहती हैं।
जो व्यक्ति असत्य भाषण नहीं करता, अपने विचारों में डूबा हुआ नहीं रहता, जो घमंडी नहीं होता, जो दूसरों के प्रति प्रेम रखता है, जो दूसरों के दुख से दुखी होकर उसकी सहायता करता है और जो दूसरों के कष्ट को दूर करने में आनंद अनुभव करता है, लक्ष्मी उसके घर में स्थायी रूप से वास करती हैं।
जो नित्य स्नान करता है, स्वच्छ वस्त्र धारण करता है, जो दूसरी स्त्रियों पर कुदृष्टि नहीं रखता, उसके जीवन तथा घर में लक्ष्मी सदा बनी रहती हैं।
आंवले के फल में, गोबर में, शंख में, कमल में और श्वेत वस्त्र में लक्ष्मी का वास होता है।
जिसके घर में नित्य उत्सव होता है, जो भगवान शिव की पूजा करता है, जो घर में देवताओं के सामने अगरबत्ती व दीपक जलाता है, उसके घर में लक्ष्मी वास करती है।
जो स्त्री पति का सम्मान करती है, उसकी आज्ञा का उल्लंघन नहीं करती, घर में सबको भोजन कराकर फिर भोजन करती है, उस स्त्री के घर में सदैव लक्ष्मी का वास रहता है।
जो स्त्री सुंदर, हरिणी के समान नेत्र वाली, पतली कटि वाली, सुंदर केश श्रृंगार करने वाली, धीरे चलने वाली और सुशील हो, उसके शरीर में लक्ष्मी वास करती हैं।
जिसकी स्त्री सुंदर व रूपवती होती है, जो अल्प भोजन करता है, जो पर्व के दिनों में मैथुन का परित्याग करता है, लक्ष्मी उसके घर में निश्चित रूप से वास करती हैं।
जो सूर्योदय से पहले (ब्रह्म मुहूर्त में) उठकर स्नान कर लेता है, उस पर लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है।
जो गया धाम में, कुरुक्षेत्र में, काशी में, हरिद्वार में अथवा संगम में स्नान करता है, वह लक्ष्मीवान होता है।
जो एकादशी तिथि को भगवान विष्णु को आंवला फल भेंट करता है, वह सदा लक्ष्मीवान बना रहता है।
जिन लोगों की देवता, साधु और ब्राह्मण में आस्था रहती है, उनके घर में लक्ष्मी का स्थायी वास होता है।
जो घर में कमल गट्टे की माला, लघु नारियल, दक्षिणावर्त शंख, पारद शिवलिंग, श्वेतार्क गणपति, मंत्रसिद्ध श्री यंत्र, कनकधारा यंत्र, कुबेर यंत्र आदि स्थापित कर नित्य उनकी पूजा करता है, उसके घर से लक्ष्मी पीढ़ियों तक वास करती हैं।
धर्म और नीति पर चलने वाले तथा कन्याओं का सम्मान करने लोगों के जीवन और घर में लक्ष्मी स्थायी रूप से वास करती हैं।
लक्ष्मी कहां नहीं रहती हैं
जो लोग आलसी होते हैं, जो ईश्वर में विश्वास नहीं करते, जो भ्रष्टाचारी, चोर तथा कपटी होते हैं, उनके पास लक्ष्मी नहीं रहती हैं।
जो लोग बुद्धिमान नहीं होते, धन-प्राप्ति के लिए प्रयत्न नहीं करते, उनके जीवन में लक्ष्मी कभी नहीं आती हैं ।
जो व्यक्ति गुरु का अनादर करता है, जो गुरु के घर चोरी करता है, जो गुरु पत्नी पर बुरी नजर रखता है, उसके जीवन और घर में लक्ष्मी नहीं रहतीं।
जो व्यक्ति देवताओं को बासी पुष्प अर्पित करता है, जो गंदा रहता है, जो टूटे-फूटे या फटे हुए आसन पर बैठता है, उसे लक्ष्मी की कृपा प्राप्त नहीं होती है।
जो व्यक्ति एक पांव से दूसरा पांव रगड़ कर धोता है, जो गंदे स्थान पर सोता है, जो सायंकाल में स्त्री के साथ सहवास करता है, जो दिन में सोता है उसके जीवन तथा घर में लक्ष्मी कभी नहीं रहती।
जो व्यक्ति घर में आया हुआ या घर में बनाया हुआ मिष्टान्न घर में रहने वालों को दिए बिना ही खा लेता है, जो घर की रसोई में भेद-भाव रखता है, लक्ष्मी उसका साथ छोड़ देती हैं।
दूसरों का धन हड़पने वाले, पर-स्त्री गमन करने वाले, सूर्योदय के बाद तक सोने वाले व्यक्ति को लक्ष्मी त्याग देती हैं।
जो देवताओं की पूजा नहीं करता, उसके जीवन तथा घर में लक्ष्मी कभी नहीं रहती हैं।
जो व्यक्ति व्यर्थ ही हंसता रहता है, जो खाते वक्त हंसता है, लक्ष्मी उसके पास कभी नहीं रहती हैं।
जो स्त्री गंदी और पाप कर्म में रत रहती है, जो पर-पुरुषों में मन लगाती है, जिसका स्वभाव दूषित होता है, जो बात-बात पर क्रोध करती है, जो अपने पति को दबाने के लिए रोष प्रदर्शन, छल या मिथ्या भाषण करती है, उसके घर लक्ष्मी नहीं रहती।
जो स्त्री अपने घर को सजा कर नहीं रखती, जिसके विचार उत्तम नहीं होते, जो अपना घर छोड़ दूसरों के घर नित्य जाती रहती है, जिसे लज्जा नहीं आती, उसके घर में लक्ष्मी कभी नहीं रहती हैं।
जो स्त्री दयाहीन होती है, स्वभाव से निर्दयी होती है, दूसरों की चुगली करने में लगी रहती है, जो दूसरों को लड़ा-भिड़ाकर स्वयं को चतुर समझती है, उसके घर में लक्ष्मी वास नहीं होता है।
जो स्त्री स्वयं को सजा-संवार कर नहीं रखती या जिस स्त्री का घर सजा-संवरा नहीं होता, उसके घर लक्ष्मी नहीं रहतीं।
मांसाहारी लोगों के घर में लक्ष्मी का वास नहीं होता।
नशीले पदार्थों का सेवन करने वालों के साथ लक्ष्मी नहीं रहती हैं।
जो स्त्री अपने पति की प्रिय नहीं होती, उसके घर में लक्ष्मी नहीं रहती हैं।
जो स्त्री अपने घर में पूजा का स्थान नहीं रखती, जो देवताओं की आरती नहीं उतारती, उन्हें धूप नहीं दिखाती, जो आरती नहीं गाती, लक्ष्मी उसका साथ नहीं देती हैं।
जिसका कोई गुरु नहीं होता, उसे लक्ष्मी की कृपा नहीं मिलती।
जो स्त्री दिन में सोती रहती है, माता-पिता, सास-ससुर का आदर नहीं करती, उसके घर में लक्ष्मी कभी नहीं रहती हैं।
जो व्यक्ति पुरुषार्थहीन और अकर्मण्य होता है, उसके घर लक्ष्मी नहीं आती।
जो अपने घर में शिव, विष्णु, गणपति और शालिग्राम को स्थापित नहीं करता और उनकी नित्य पूजा नहीं करता, उसके घर लक्ष्मी नहीं रहती हैं।
जो लक्ष्मी के स्तोत्र का पाठ या मंत्र का जप नहीं करता, धन का अपव्यय करता है, या केवल भोग में ही जीवन का सुख समझता है, उसे लक्ष्मी कृपा कभी प्राप्त नहीं होती।
जिसके घर में कलह होता है, जो अपनी पत्नी का बात बात पर अपमान करता है, उसे नौकरानी समझता है, उसके घर लक्ष्मी का वास नहीं होता।