दीपावली पूजन के टिप्सhello
 

 

  दीपावली के पूजन के दौरान संपूर्ण परिसर में दक्षिणावर्ती शंख से गंगाजल का छिड़काव करें, नारायण का वास बना रहेगा। जहां नारायण का वास हो, वहां लक्ष्मी स्वतः विराजमान हो जाती हैं।
   दीपावली पूजन के पश्चात्‌ संपूर्ण परिसर में गुग्गुल का धुआं दें। यह बुरी आत्माओं और आसुरी शक्तिओं से रक्षा करता है।
   पूजन के दौरान माता लक्ष्मी को बेलपत्र व कमल का फूल अवश्य चढ़ाएं। कुछ लोग कमल के फूल व बेलपत्र को केवल भगवान शिव हेतु उपयुक्त मानते हैं, जबकि बेलपत्र व कमल के फूल की माला लक्ष्मी को अर्पित करने से वैभव  की प्राप्ति होती है।
   पूजन के पश्चात्‌ मध्य रात्रि में परिवारजनों के साथ बैठकर श्रद्धापूर्वक श्री विष्णुसहस्रनाम अथवा श्री गोपाल सहस्रनाम तथा श्री लक्ष्मी सहस्रनाम का ११ या कम से कम एक बार पाठ अवश्य करें।
   साधक जिस मंत्र का जप नित्य करते हों, या जो उनका प्रिय मंत्र हो अथवा जिस मंत्र का जप वह भविष्य में करना चाहते हों, उसे दीपावली की रात सिद्ध कर सकते हैं। मध्य रात्रि में इस मंत्र का १०८ या ११ या फिर कम से कम एक माला जप संबंधित देवी देवता का ध्यान करके करें। इससे मंत्र सिद्ध हो जाएगा तथा उसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाएगा।
   घर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के स्थायी वास के लिए दीपावली पूजन के समय श्री नारायण सूक्त व श्री सूक्त का पाठ अवश्य करें।
   दीपावली पूजन में सोने के आभूषण या सिक्के का अधिक महत्व है। इसे पूजा स्थल पर रखकर कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें, माता लक्ष्मी के आशीर्वाद से घर धन-धान्य और स्वर्णाभूषणां से भरा रहेगा। सोने के अभाव में चांदी का उपयोग भी कर सकते हैं।
   दीपावली पूजन में भगवान कुबेर का पूजन अवश्य करें, घर अन्न-धन से भरा  रहेगा।
   बहुत से विद्वान दीपावली की मध्य रात्रि में बगलामुखी मंत्र सिद्धि का परामर्श देते हैं। किंतु ध्यान रहे कि यह एक परम शक्तिशाली मंत्र है, इसलिए केवल गंभीर परिस्थितियों में और किसी योग्य गुरु की देखरेख में ही इसे सिद्ध करना चाहिए।
   दीपावली के दिन वस्तुओं को लांघना अशुभ होता है। अतः इस अत्यधिक सावधानी बरतें। चौक-चौराहों को देखकर ही पार करें।